इन होसियारिओं में कुछ नहीं रखा है चल फ़िर से लौट चले, उसी मासूम से ख़्वाब की ओर जहाँ हमने प्रेम की एक गज़ल लिखीं थीं, जहाँ हमने बवराये पपीहे की राग सुनी थी, चाँद की रोशनी में जहाँ हमने उम्मीदों के तिनके से एक छोटा सा घरोंदा बनाया था वों मिट्टी के घरों की गलीया, जहाँ हमने एक - दूसरें का घंटों इंतजार किया था, हा! वही ख़्वाब जहाँ हमने ऋषि-मुनियों क़ी तपस्या की तरह पवित्र प्रेम किया था, चल फ़िर से लौट चले उसी मासूम से ख़्वाब की ओर... #Mylove #life #mushyara #mk