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जब जब देश का अन्न दाता ऋण में दब जाता है अपनी इज़्ज़

जब जब देश का अन्न दाता ऋण में दब जाता है
अपनी इज़्ज़त की खातिर शूलि पर चढ़ जाता है
तब तब देश का उद्योगपति भगवा हो जाता है 
उन अन्न दाता की मेहनत विदेशों में लुटाता है 

जब मूक दर्शक बन जाते है नेता हमारे भी
पक्ष विपक्ष खेल दिखाते बन्दर और मदारी भी
दोनों ने सत्ता की खातिर किसान स्वयं को बोल दिया
घड़ियाल के आंसू बहा रिश्ता उनसे जोड़ लिया

भूपेंद्र रावत

©Bhupendra Rawat
  जब जब देश का अन्न दाता ऋण में दब जाता है
अपनी इज़्ज़त की खातिर शूलि पर चढ़ जाता है
तब तब देश का उद्योगपति भगवा हो जाता है 
उन अन्न दाता की मेहनत विदेशों में लुटाता है 

जब मूक दर्शक बन जाते है नेता हमारे भी
पक्ष विपक्ष खेल दिखाते बन्दर और मदारी भी
दोनों ने सत्ता की खातिर किसान स्वयं को बोल दिया
जब जब देश का अन्न दाता ऋण में दब जाता है
अपनी इज़्ज़त की खातिर शूलि पर चढ़ जाता है
तब तब देश का उद्योगपति भगवा हो जाता है 
उन अन्न दाता की मेहनत विदेशों में लुटाता है 

जब मूक दर्शक बन जाते है नेता हमारे भी
पक्ष विपक्ष खेल दिखाते बन्दर और मदारी भी
दोनों ने सत्ता की खातिर किसान स्वयं को बोल दिया
घड़ियाल के आंसू बहा रिश्ता उनसे जोड़ लिया

भूपेंद्र रावत

©Bhupendra Rawat
  जब जब देश का अन्न दाता ऋण में दब जाता है
अपनी इज़्ज़त की खातिर शूलि पर चढ़ जाता है
तब तब देश का उद्योगपति भगवा हो जाता है 
उन अन्न दाता की मेहनत विदेशों में लुटाता है 

जब मूक दर्शक बन जाते है नेता हमारे भी
पक्ष विपक्ष खेल दिखाते बन्दर और मदारी भी
दोनों ने सत्ता की खातिर किसान स्वयं को बोल दिया