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आ मिलों की वक़्त गुजर रहा है तूफ़ाँ की तरह आ मिलों

आ मिलों की वक़्त गुजर रहा है
तूफ़ाँ की तरह

आ मिलों की सब सिमट रहा है
दायरों की तरह

आ मिलों की साँसे अभी चंद बाकी है
 धड़कनो की तरह

आ मिलों की उम्मीदों की एक कली 
बाकी है फूलों की तरह

आ मिलों की अब मिलने को जी
तरसता है

जैसे कोई मुसाफिर भटकता हो मंजिल
को पाने की तरह

©पथिक..
  #Aआ #milo#

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