इसक का जो तीर चलाया था तुमने मेरा दिया बुझा के दूसरों का दिया जलाया था तुमने कभी हमसे तो पूछा होता क्या चाहते हो तुम हमसे बिना पूछे ही दूसरों का घर महकाया था तुमने तीर तुमने चलाया घायल बेचारा ये दिल हो गया तीर चलाना ही था तो उसपे चलाती ए बेवफा जिसके घर मे उजाला फेलाया था तुमने इतनी ही जल्दी थी तो प्यार किया ही क्यु तुमने घर दूसरों का बसाना था तुम्हें तो इसक किया ही क्यु तुमने.