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हमे तो आफताब की तपिश भी जला नही पाई तू तो फिर भी च

हमे तो आफताब की तपिश भी जला नही पाई
तू तो फिर भी चाँद का टुकडा ही है,
हमे देख कर तो आँधिया भी अपना रुख बदल लें,
तू तो फिर भी एक हवा का झोंका ही है, aman6.1 Deep Sandhu Mr. MANEESH  smita with a kind ❤️   Bly Nizam Pasha Gend Lal Sen
हमे तो आफताब की तपिश भी जला नही पाई
तू तो फिर भी चाँद का टुकडा ही है,
हमे देख कर तो आँधिया भी अपना रुख बदल लें,
तू तो फिर भी एक हवा का झोंका ही है, aman6.1 Deep Sandhu Mr. MANEESH  smita with a kind ❤️   Bly Nizam Pasha Gend Lal Sen