हमे तो आफताब की तपिश भी जला नही पाई तू तो फिर भी चाँद का टुकडा ही है, हमे देख कर तो आँधिया भी अपना रुख बदल लें, तू तो फिर भी एक हवा का झोंका ही है, Mr. MANEESH smita with a kind ❤️