एक ही था कलाकार उसने एक ही जैसी दो तस्वीरें बनाई। जिसमें एक जैसे ही रंग भरे मेहनत भी एक जैसी लगाई। दोनों तस्वीरों ने अपनी अलग अलग सी किस्मत पाई। एक गरीब की झोपड़ी में तो एक आलीशान महल में लटकाई। झोपड़ी में तस्वीर बेचारी लटकती रहती महल की शोभा दूसरी तस्वीर ने बढ़ाई। गरीब की झोपड़ी में कोई देखे ना अमीर के घर उसने वाहवाही पाई। धीरे-धीरे समय बदला दोनों पर अब धूल चढ़ आई। झोपड़ी में लटकी रही वह पहले जैसे अमीर के घर की अब उसने शोभा घटाई। झोपड़ी में लगी रही तस्वीर सालों साल अमीर के महल में कई नई तस्वीरें आई। छोटी थी झोपड़ी पर दिल बड़े थे तस्वीर में उनकी यादें समाई। अंधेरे कमरे में गिरी पड़ी कोने में उसकी किसी को कभी याद ना आई। एक ने सबके दिल में जगह बनाई ओर एक ने कोरी वाहवाही पाई। हुनर है आप में तो जगह बन जाएगी चाहे गरीब की ही किस्मत है पाई। ruchichoudhary