कर सबसे प्रेम तू मानव, इससे बड़ा ना कोई धर्म, कड़वे बोल बोलकर, क्यूँ दुखाए किसी का मन। भूखे को देकर अन्न, प्यासे को पिलाकर पानी, जिसने किया दूसरों का भला, उसने प्रभु भक्ति जानी। प्रभू नाम लेते चलो, उससे जीवन जाएगा तर, मुश्किलों से लड़ पाओगे, बिना किसे के डर। भक्ति करोगे दिल से, फल उसका मिलेगा ज़रूर, ईश्वर ही दिखाएँगे राह, क्यूँ करते हो तुम गुरूर। धीर धर तू मनवा, अधीर हुए कुछ नाहीं होय, जो दिया प्रभू ने, स्वीकार कर संतोष होय। दिल होगा साफ़, राह भी मिलेगी तुम्हे, जी लो ज़िंदगी तुम, इसके हसीन लम्हे। मंदिर में जिसे ढूँढे तू, बसा है वो दिल में तेरे, पाएगा उसे तू अपने पास, जप उसका नाम साँझ सवेरे। तुझमें तेरा धर्म है, रख इसको तू सम्भाल, परमार्थ में लगा रह तू, पूरी श्रद्धा इसमें डाल। कर सबसे प्रेम तू मानव, इससे बड़ा ना कोई धर्म, कड़वे बोल बोलकर, क्यूँ दुखाए किसी का मन। भूखे को देकर अन्न, प्यासे को पिलाकर पानी, जिसने किया दूसरों का भला, उसने प्रभु भक्ति जानी। प्रभू नाम लेते चलो, उससे जीवन जाएगा तर, मुश्किलों से लड़ पाओगे, बिना किसे के डर।