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माफ़ कर दीजिए" यही सीखा है बचपन से ,नहीं कोई काम

माफ़ कर दीजिए"

यही सीखा है बचपन से ,नहीं कोई काम करते हैं,
हम अपने पेट के खातिर ,गुनाह ए आम करते हैं।

शरीफों की सुपारी पर, हम तो केवल काम करते हैं,
उन्हें कोई कुछ नहीं कहता ,हमें बदनाम करते हैं।

आपके जैसे हमारे भी बहू बच्चे हैं, रहम कीजिए,
कौन पालेगा उनको हमारे सिवा, माफ़ कर दीजिए।

©Anuj Ray
  #माफ़ कर दीजिए
anujray7003

Anuj Ray

Bronze Star
New Creator

#माफ़ कर दीजिए #कविता

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