विरह की बदरी से बरसता तेरा इश्क़!! भीगने को अब मैं उस बारिश की मोहताज नहीं..... बड़ा इतराया वो मुझे सजदे में झुका कर.... उसे क्या खबर हम पत्थर को भी छूये.... खुदा कर जाते हैं..... #मोहब्बत_ए_इश्क