सुख दुख से सजी, सच्चे झुठे रिस्तोँ से बँधी, कभी कठीन कठीन कभी सरल लगे, टेढी मेढी राहोँ सी चले, कभी अतरँगी कभी सतरँगी है, बस इसी का नाम जिन्दगी है...! सुख दुख से सजी, सच्चे झुठे रिस्तोँ से बँधी, कभी कठीन कठीन कभी सरल लगे, टेढी मेढी राहोँ सी चले, कभी अतरँगी कभी सतरँगी है, बस इसी का नाम जिन्दगी है...! रविन्द्र महरानीयाँ