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आ ऐंसे खत्म ना हो ये सिलसिले जैसे बारिश की बूंद बन

आ ऐंसे
खत्म ना हो ये सिलसिले
जैसे बारिश की बूंद बन कर पानी जमीन पर बिखरे,
आ ऐंसे चलें जैसे नदी में हो पानी बहे,
फिर एक दिन खुद को खोकर हैं पाना तुझे,
जैसे खारे समुंदर में मीठी नदी मिले,
आ ऐंसे चलें ,
खत्म ना हो ये सिलसिले,
सफर खो जाए ये, मंज़िल तू बने और मुसाफिर में रहूं,
जैसे समुंदर तू बने और लहर में रहूं, तुझमे बहता रहूं।

©Chahat Bobade
  "SAFAR" by CHAHAT BOBADE

"SAFAR" by CHAHAT BOBADE #Quotes

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