बेकार रहने से बेहतर मुसीबत में डाला जाए, गैर से नहीं उलझनों से नाता जोड़ा जाए। बुरे वक्त में अपने भी पराए से होते हैं, सो मुसीबतों से दोस्ती का हाथ बढ़ाया जाए। लोग परेशानी में काम कर के परेशान हैं, एक दफा परेशान से परे को तो हटाया जाए। कागज़ के फूल से खुशबू क्यूं नहीं आती, इसे जरा और सिद्दत से तो बनाया जाए। पुराने जख्मों को याद करने से बेहतर हैं, जख्म देने वाले का नाम दोहराया जाए। काम करना ही है तो कुछ ऐसा कर 'राजन' हर जगह तेरा भी नाम पुकारा जाए। ©Rajat Rajan #उलझनों से नाता #gajal #poem #Love #betrayal आशीष रॉय 🇮🇳