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एक शाम, पापा की याद आ गई.. उनके साथ पल बिताना याद

एक शाम, पापा की याद आ गई..
उनके साथ पल बिताना याद आया
कुछ पल के लिए जब मेरी उंगलियां
पापा के हथेलीबद्ध बंधन से 
छूटकर निकल जाया करती थीं
उनके, अंदर की फ़िक्र याद आ गई..
आज, बड़ा हो गया हूँ..
कंधों पर बोझ आ गई
कुछ बनना हैं, यह धुन सवार हो गई..
नहीं होता अब वक्त इतना कि
फिर से उन्हें कह सकूं
की पापा, आज फिर से मेरी 
उंगलियां थाम लो न
क्योंकि वो शाम आज फिर लौट आ गई..
साथ मे उन पलों की याद दिला गई.. मेरे पापा Pratibha Tiwari(smile)🙂 shibani🌹 Sanjay Sanju Panwar Nisha Singh Sarika Srivastava
एक शाम, पापा की याद आ गई..
उनके साथ पल बिताना याद आया
कुछ पल के लिए जब मेरी उंगलियां
पापा के हथेलीबद्ध बंधन से 
छूटकर निकल जाया करती थीं
उनके, अंदर की फ़िक्र याद आ गई..
आज, बड़ा हो गया हूँ..
कंधों पर बोझ आ गई
कुछ बनना हैं, यह धुन सवार हो गई..
नहीं होता अब वक्त इतना कि
फिर से उन्हें कह सकूं
की पापा, आज फिर से मेरी 
उंगलियां थाम लो न
क्योंकि वो शाम आज फिर लौट आ गई..
साथ मे उन पलों की याद दिला गई.. मेरे पापा Pratibha Tiwari(smile)🙂 shibani🌹 Sanjay Sanju Panwar Nisha Singh Sarika Srivastava
nojotouser2771895887

M. LOHAR

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