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नि:स्वार्थ प्रेम वह स्थिति होती है जब इंसान लाभ या

नि:स्वार्थ प्रेम वह स्थिति होती है जब इंसान लाभ या किसी अन्य इच्छा की पूर्ति के बिना किसी से प्रेम करता है। सामान्य जीवन में देखा जाए तो  शायद ही इंसान किसी दूसरे से नि:स्वार्थ प्रेम करता है। जिस प्रकार एक मां अपने बच्चों से निस्वार्थ प्रेम करती हैं उसी प्रकार उस माँ का इस दुनिया में अन्य लोगों के साथ निस्वार्थ प्रेम करना असंभव होता है। जब एक माँ के लिए यह बात असंभव होती है तो फिर साधारण व्यक्ति के लिए निस्वार्थ प्रेम करना कितना असंभव होगा यह विचार आप स्वयं अपने मन में कर सकते हैं l

©sanjay Kumar Mishra #Sunrise  आज का विचार सुप्रभात सुविचार इन हिंदी
नि:स्वार्थ प्रेम वह स्थिति होती है जब इंसान लाभ या किसी अन्य इच्छा की पूर्ति के बिना किसी से प्रेम करता है। सामान्य जीवन में देखा जाए तो  शायद ही इंसान किसी दूसरे से नि:स्वार्थ प्रेम करता है। जिस प्रकार एक मां अपने बच्चों से निस्वार्थ प्रेम करती हैं उसी प्रकार उस माँ का इस दुनिया में अन्य लोगों के साथ निस्वार्थ प्रेम करना असंभव होता है। जब एक माँ के लिए यह बात असंभव होती है तो फिर साधारण व्यक्ति के लिए निस्वार्थ प्रेम करना कितना असंभव होगा यह विचार आप स्वयं अपने मन में कर सकते हैं l

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