माया मनो न वीसरै मांगे दम्मा दम।। सो प्रभु चित न आवई नानक नहीं करम्म।। अर्थ:- रजो-तमो-स्तो व सुख-शांति की मांग परमात्मा से मन निरन्तर करता है(सुख माँगत दुख आगे आवय!), जो यह मांग मन के भीतर से कभी नहीं विसरती ओर हर दम मन यही रब से मांगता है इसलिए वह परमात्मा व आनन्द व प्रकाश जिससे उसे ही माँगना चाहिए वह मन के ध्यान में यानी चित्त में नहीं आता हे नानक! क्योंकि खुद करतार ने जीवमन को यह करम नहीं बख्शा।। ©Biikrmjet Sing #माया