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फिर से कोशिश करता हूं इस अधूरे उपन्यास को पूरा करन

फिर से कोशिश करता हूं
इस अधूरे उपन्यास को पूरा करने की

प्रश्नचिन्ह????? नींद आनंद की आंखों से कोसों दूर थी, उसकी बंद आंखों में दिन भर की घटनाएं, किसी सीरियल के एपिसोड की तरह चलने लगी।जबसे उसने CT scan और MRI की रिपोर्ट्स पढ़ी, उसका दिमाग चक्कर खा रहा था। चिंता की लकीरें माथे और दिल पर उभर आई। उसने आंखें खोली, देखा दीपा सामने बिस्तर पर लेटी कराह रही है, दर्द का इंजेक्शन दे देने के बाद भी पीड़ा की धूप चेहरे पे नज़र आई, बहुत अधिक दर्द के कारण उसने बहुत से आंसू रोए होंगे, उन आंसुओं की कहानी के निशान एक बेबसी की पगडंडी के रूप में आंखों से निकल होंटों के किनारों पर स्पष्ट दिखाई दिए। उसकी सांसों को संघर्ष कार्य देख आनंद का मन भी कराहने लगा।मगर आनंद ने अपने को मज़बूत किया और अपनी पीड़ा और बेबसी को कड़वी दवा समझ कर पी गया।
शाम को उसे डॉक्टर अशोक वैद से मिलना है, उसने सब रिपोर्ट कागज़ समेटे फाइल उठा कर निकलने को ही था कि नीति ने साथ चलने की ज़िद्द पकड़ ली। अन्तर्मन से तो वह स्वयं चाहता था कि कोई उसके साथ हो, उपर से भले ही वह बार बार किसी को साथ नहीं ले जाने को तैयार था।
Dr. वैद ने रिपोर्ट्स देखें चश्मे के पीछे उनकी आंखें जिस अंदाज़ से सिकुड़ी, आनंद का मन भी आशंका से सिकुड़ गया।
अनिष्ट की आशंका से उसके पेट में हलचल होने लगी।
हिम्मत करके उसने dr. वैद से दो ही प्रश्न किए,
सर..आपके अनुभव के आधार से मरीज़ के पास कितना समय है, और अब आपका ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल क्या रहेगा?
नीती ने आनंद का हाथ पकड़ कर भींच दिया मानो कह रही हो,भैया ऐसे भी कोई पूछता है क्या?
6to7 months....
फिर से कोशिश करता हूं
इस अधूरे उपन्यास को पूरा करने की

प्रश्नचिन्ह????? नींद आनंद की आंखों से कोसों दूर थी, उसकी बंद आंखों में दिन भर की घटनाएं, किसी सीरियल के एपिसोड की तरह चलने लगी।जबसे उसने CT scan और MRI की रिपोर्ट्स पढ़ी, उसका दिमाग चक्कर खा रहा था। चिंता की लकीरें माथे और दिल पर उभर आई। उसने आंखें खोली, देखा दीपा सामने बिस्तर पर लेटी कराह रही है, दर्द का इंजेक्शन दे देने के बाद भी पीड़ा की धूप चेहरे पे नज़र आई, बहुत अधिक दर्द के कारण उसने बहुत से आंसू रोए होंगे, उन आंसुओं की कहानी के निशान एक बेबसी की पगडंडी के रूप में आंखों से निकल होंटों के किनारों पर स्पष्ट दिखाई दिए। उसकी सांसों को संघर्ष कार्य देख आनंद का मन भी कराहने लगा।मगर आनंद ने अपने को मज़बूत किया और अपनी पीड़ा और बेबसी को कड़वी दवा समझ कर पी गया।
शाम को उसे डॉक्टर अशोक वैद से मिलना है, उसने सब रिपोर्ट कागज़ समेटे फाइल उठा कर निकलने को ही था कि नीति ने साथ चलने की ज़िद्द पकड़ ली। अन्तर्मन से तो वह स्वयं चाहता था कि कोई उसके साथ हो, उपर से भले ही वह बार बार किसी को साथ नहीं ले जाने को तैयार था।
Dr. वैद ने रिपोर्ट्स देखें चश्मे के पीछे उनकी आंखें जिस अंदाज़ से सिकुड़ी, आनंद का मन भी आशंका से सिकुड़ गया।
अनिष्ट की आशंका से उसके पेट में हलचल होने लगी।
हिम्मत करके उसने dr. वैद से दो ही प्रश्न किए,
सर..आपके अनुभव के आधार से मरीज़ के पास कितना समय है, और अब आपका ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल क्या रहेगा?
नीती ने आनंद का हाथ पकड़ कर भींच दिया मानो कह रही हो,भैया ऐसे भी कोई पूछता है क्या?
6to7 months....