कठिन भरा दौर निकल जाएगा, कल सुबह का रंग निखर आएगा, विश्वास रख यही मिलो मिल चला, चलते चलते खुद के नये स्वरुप से मिला, मिलकर उससे आराम लगा, बातों से उसकी आज़ाद लगा, आज़ाद लगा उस पंछी को, जो कैद में अभी बैठा है, समुन्द्र जितना ज्ञान लिए, ना अपने मन की करता है, सुनता है सबकी, ना कर पता अपने मन की, अपनों के मन को अपना मानता, दिखाए रास्ते को आशीर्वाद मानता, वो नहीं है स्वतंत्र मानव, जो अपने जज़्बात चुप्पी में दबाता! @shayari_ayushi ©Ayushi Mittal #Mann mann ke jasbaat #Poetry #Shayari #poem #Comment if you like it #follow #Like #commentback #Dil #MereKhayaal