कलम कागजों पर चल कर, करती है रोज कमाल,, खेत सूरमा रण में जाकर, करते हैं खूब धमाल, तलवारों की रण कौशलता, जौहर की बनी मिशाल, हाथ उठाकर थामे रहते हैं, ज्यों सैनिक रोज मशाल, आजादी से जश्न मनाने में,, रहते हैं नित मशगूल,, सीमाओं में डटे हुए हैं, खिलते बागों में ज्यों फूल,, फूल बागका मुरझा भी जाता, सैनिक साहस न मुरझाए,, आँखो में एक सपना पलता, वह हर दम ही मुस्काए, कुसुम सुगंधित कानन तक, वीर सुखद चमन महकाए,, कलम उसासी कवियों की, दे देकर उनका मान बढ़ाए, अस्त्र शस्त्र सा पौरुष देती, गाथा गाकर नित यश पाए, राष्ट्र के सच्चे दोनों प्रहरी, दोनों ही लड़ें और लड़ाए, मातृभूमि हित अर्पित जीवन, सच्चे राष्ट्र भक्त कहलाएं,, यही तमन्ना........ अपने दिल में अरमान जगाएं, मातृभूमि हित काम आ सकें, जीवन धन धन हो जाएll