हमेशा सोचती थी मैं, पता नहीं क्या खास है मुझमें, इतने सफल लोगों को देखकर, अपने आप को निराश समझती थी मैं, लेकिन मन में कहीं न कहीं यह आश थी, सब में कुछ न कुछ ख़ास है, आखिर मैं कब पहचान पाऊंगी, इसके लिए निराश थी...... फिर वह दिन आ ही गया, आखिर मेरा छुपा हुआ हुनर मुझे पा ही गया। अचानक से मुझे मानो कुछ हो गया, सोचते सोचते कुछ लिख ही गया, और जो लिखी...... वो क्या ही लिखी, सबसे बड़ी प्रशंसा भी मिली, आखिर मुझे मेरी पहचान भी मिली, इससे कुछ करने की आश जगी..... फिर आगे क्या था.... मेरा मन लिखने को बेकरार था, कलम और कागज से नाता जोड़ लिया, बाकी फ़ालतू चीज़ों से मुख मोड़ लिया। लेखन मुझे इतना भाया, कि कभी नहीं छूटेगा इससे मेरा साया। हर घड़ी हर चीज़ में सोचती हूं......... अपने आप को लिखने को मजबूर करती हूं। ©sheetal verma #मेरा_हुनर #my_first_post #Morningvibes