मैं इश्क़ को काम समझ बैठा, जब आयी बारी काम की तो उसे कुछ और समझ बैठा, मैं इश्क़ को काम समझ बैठा था जुनून जब काम का मै इश्क़ कर बैठा, इंतकाम पूरे करने निकला था मगर मैं इश्क़ कर बैठा, मैं इश्क़ को काम समझ बैठा हो गया इतना मशगूल इतना के मैं ज़हर को शहद समझ बैठा, जलन पड़ता है कुछ पाने के लिए, मैं सूरज को चाँद समझ बैठा, मैं इश्क़ को काम समझ बैठा करना चाहता था बहुत कुछ, मैं तालाबों को समंदर समझ बैठा, मयान में रखी तलवार को सूइ समझ बैठा ना जाने की रास्ते निकल गया था मैं, के उसे ही राह समझ बैठा, मैं इश्क़ को काम समझ बैठा #ishqaurkaam #nasamjhi