आत्महत्या आज फिर कोई खामोश हो गया आंखों में संजोए ख्वाब तोड़ गया रोते हुए मां-बाप को अकेला छोड़ गया समाज की आंखों में सवालों की बौछार छोड़ गया आजाद कर खुद को मां-बाप को क़ैद कर गया क्या कमी रह गई परवरिश पर सवाल खड़ा कर गया ज़ख्म थे ज़हन में तो सवाल करने थे अपने ही किसी से जबाव ढूंढने थे तूफान था अंदर तो रूबरू होकर शांत करना था यूं परिवार को ज़ख्म क्यों दे गया। दो पल की मोहब्बत के लिए दुनिया छोड़ गया सालों के बलिदान को मिट्टी में मिला गया क्या कसूर था उनका जो जीते जी मार गया जिन आंखों ने तरक्की देखनी थी तू् अर्थी दिखा गया। ©Ruchi Jaiswal #StopSuicide #saveyourself #trustonyourself #LoveYourParents #LoveYourLife किसी के लिए अपनी जिंदगी बर्बाद मत करो बहुत प्यार से पाला है मां-बाप ने। #NirbhayaJustice