एक चाय है मुझको जिसमें 'पानी' नहीं तेरी 'यादों' को खौलाऊँगा 'दूध' नहीं अपनी 'वफा' को मिलाऊँगा 'चीनी' का काम मेरा' सब्र' करेगा और 'पत्ती' उस 'एहसास' की होगी जिसे तूने चूर चूर किया था झूठे अपने दिखावे से! कौन कौन बनाना चाहेगा ऐसी चाय..! #kumaarsthought #kumaarpoem #चायपरकुमारकीकलमसे #chai #यादों #पत्ती #चीनी