शीर्षक - मुझको मालूम है तुमको क्यों है मुझसे मोहब्बत --------------------------------------------------------- मुझको मालूम है तुमको क्यों है, मुझसे मोहब्बत। क्यों करती है दिल से तू , मेरी इतनी ऐसे इज्जत।। मुझको मालूम है तुमको----------------।। क्योंकि तुझको मिलेगा, मुझसे ऐशो- आराम- सुख। नहीं होगी तुम्हें तकलीफ़, नहीं मिलेगा तुमको दुःख।। तुमको अपनी जिंदगी में, इन्हीं की है बहुत जरूरत। मुझको मालूम है तुमको--------------।। मेरी कमजोरी यही है, मेरे साथ कोई नहीं है। मैं हूँ नाराज अपनों से, उनसे मेरा रिश्ता नहीं है।। बनाने को मुझे अपना, तुमने की है यह कुव्वत। मुझको मालूम है तुमको---------------।। तुमको भी धोखा दिया है, किसी ने प्यार करके। अकेला राह में छोड़ा है, तुमको बर्बाद करके।। इसी गम को भूलाने को, तुम्हें है साथी की जरुरत। मुझको मालूम है तुमको-----------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #मुझको मालूम है