ग़म ना कर चोट लगी है अभी -अभी यह दर्द भी हट जाएगा कभी न कभी ग़म कि बदरी भी आती है बरसातों में खुली रह जाती है छतरी कभी न कभी ©अनुषी का पिटारा.. #andhere #छतरी #अनुषी_का_पिटारा