हमे जीने का इशारा मील गया, प्यार जो दिखा तेरी आंखो ने, उसीका सहारा मील गया, जरूरत नही तेरे इकरार की, नई राह मिली है फिरसे जीनेकी तेरे आंखो की गहराई में हमने खुदको पाया है, बीन बोले दिल का हाल, तेरी आंखोने बताया है इतनी खुशी कभी ना मिली मुझे, जब भी देखू मुस्कराते हुये तुझे, मेरी चहात थी , बन के रहूं तेरी परछाई, किस्मत हुई महेरबांन, दिलमें ही तेरे जगा मील गयी, अब ना कोई है फिकर, ना लगे मौत का डर, सह नही सकता तेरी जुदाई का गम मगर तुही मेरी जिंदगी का आखरी मुकाम बन हो गये बताओ कोई, बिन पाणी; मच्छली कैसे जीए......rkb # prem, poem