गली में जाते वक्त बीच में एक मकान से निकल कर हमारे घर आते वक्त एक मकान पड़ता था वो घर मेरी मुह बोली बुआ का था जो कुछ वक्त पहले ही दुनिया छोड़ गई है उनको मिजाज बड़ा अशिकाना था औल उनके घर आने जाने वालो की कमी नही रहती थी मैं उनको मजबूरी में नही बल्कि पूरे दिल से बुआ बुलाती थी वो हमेशा सजी धजी और खुशमिजाज थी उनका कोई वजूद न था लेकिन कईओ का वजूद उन्होंने ही सम्हाला था कईओ से कहते सुना था वो अच्छी औरत नही है पल उस उम्र में अच्छा या बुरा मैं कहा जानती थी जब भी उनके घर जाऔई माँ से चहकते हुए कहती बुआ के घर खेलने जा रही हूँ और माँ भी औरो के जाने से पहले जो हिदायत देती थी न देती उन्होने तो कभी टोका नहीं उनके घल जाने से पर दादी अकसर मुह सुकेड़ लेती थी उनके नाभ पर लेकिन अब इतने साल बाद सब समझती हूँ तो सोचती हूँ अच्छी वो नही थी या वो लोग जो ऊनके घर अपनी प्यास मिटाने आते थे और जब वो आखिरी सांस ले रही थी तब ऊनके घल में पसरा सन्नाटा क्या अच्छा नही था मैंने तो हमेशा उनके हव्दय में वत्शल्य पाया है जितनी यादे मेरी अपनी बुआ की नही है जितना उनकी प्यार भरी बातो की है पता नही इस दुनिया में कौन अच्छा है #NojotoQuote