एक दीप तेरे नाम का रोज़ जलाती हूँ अपने मनरूपी आँगन में, जिसमें खुशियाँ बेशुमार होती है, जिसमें सिर्फ तेरी यादों की बहार होती है। एक दीप तेरे नाम का रोज जलाती हूँ अपनी बुझती- जलती संसार में। आख़िर उस दीप के तेल में मैं पाती हूँ तेरा द्रवित स्नेह। ©priya roy # diwali special #Diwali