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एक दीप तेरे नाम का रोज़ जलाती हूँ अपने मनरूपी आँग

एक दीप तेरे नाम का रोज़ जलाती हूँ 
अपने मनरूपी आँगन में, 
जिसमें खुशियाँ
 बेशुमार होती है, 
जिसमें सिर्फ तेरी
यादों की बहार होती है। 
एक दीप तेरे नाम का
रोज जलाती हूँ 
अपनी बुझती- जलती संसार में। 
आख़िर
उस दीप के तेल में
मैं पाती हूँ तेरा द्रवित स्नेह।

©priya roy # diwali special

#Diwali
एक दीप तेरे नाम का रोज़ जलाती हूँ 
अपने मनरूपी आँगन में, 
जिसमें खुशियाँ
 बेशुमार होती है, 
जिसमें सिर्फ तेरी
यादों की बहार होती है। 
एक दीप तेरे नाम का
रोज जलाती हूँ 
अपनी बुझती- जलती संसार में। 
आख़िर
उस दीप के तेल में
मैं पाती हूँ तेरा द्रवित स्नेह।

©priya roy # diwali special

#Diwali
priyaroy1897

priya roy

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