deepmuहकीकत हूं मैं तेरी , मैं तेरे जिस्म की रूह हो जाऊं, सजती रहूं तेरी ही निगाहों मैं हरदम, फिर चाहे मैं खुद से दूर हो जा जाऊं...! कभी तो संभाला कर मुझे भी , तेरी ख्वाहिश पूरी करने को मैं मंजूर हो जाऊं , दुआ है कि सिर्फ तुम मुकम्मल हो जाओ,