अक्सर अक्सर युही मैं, उदास बैठा रहता हूं, उन बीती यादों को याद करता हु। अक्सर ये खामोशी भी अच्छी लगती है, युही मैं खुद में खोया रहता हूं। अक्सर चल देता हूं मैं अकेला उन राहों पर, और मंजिले मिलती है कब्रगाहों में। अक्सर ये ऊंची दीवारें मुझसे कहती है, ठहर जा, अभी ढहने को वक्त बाकी है। अक्सर ये खाली पन्ने मुझसे कहते है, अभी जिंदगी में स्याही उतरनी बाकी है। अक्सर हर किसी को अपना समझ बैठा हु, तो ठोकर मुझे सबक समझाती है, अक्सर कट जाते ये दिन और रात, तो कभी बेचैन कर देती है मुझे ये मेरी सांस। अक्सर... अक्सर ये खामोशी कहती है मुझसे, सब्र कर, अभी जिंदगी के इम्तेहान बाकी है। तू कर गुजर कुछ ऐसा, तेरे शामियानो में अभी महफिले बाकी है, रास्तो पर सोया है तू कितनी दफा, अब महलो के मखमलो में, तेरी रातें बाकी है। अक्सर, अक्सर ये कहती है मुझसे मेरी जिंदगी... ...✍🏻रूपेश थुल ©Rupesh Indu Prakash #Rupesh_Thool #my_story #alone