तन्हाई के आलम मे छोड़ महफिल का फितूर, आज इक पल को बैठूं कही मगरूर दुनिया से दूर !! हवाओं के साथ उड़ लूँ हो जाऊँ उस गगन से रु-ब-रु, गुम हो चुकी मै खुद को आज ढूंढ लूँ जरूर !! तलाश लूँ इस ज़माने मे अपना खुद का वजूद, कर लूँ ख्वाहिशों को पूरा बन जाऊं मै खुद ही अपना ग़ुरूर !! थाम के इस लम्हे को निहार लूँ कुदरत का नूर, बना लूँ अपनी राह हो जाऊं मुकद्दर की साजिशो से दूर !! पहचान लूँ खुद को, निखार लूँ खुद को आज इक पल को बैठूं कही मगरूर दुनिया से दूर !! ~~shubhi~~ हो जाऊं मुकद्दर की साजिशो से दूर !! #poetry #nojoto #livelife #identity #pahchan #goals