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        बे-मौसम बारिश अन्न     तुम्हारे     भोजन 

        बे-मौसम बारिश

अन्न     तुम्हारे     भोजन     की,
थाली    तक   कैसे   आता   है।
इसके  पीछे  किसका,  कितना,
कहाँ  - कहाँ,   क्या   नाता   है।
बे -मौसम  बारिश  से  तुम  जो,
झूम      रहे      इतराते       हो।
तुमको    क्या   मालूम    इसमें,
किसका क्या-क्या बह जाता है।

उनसे   पूछो   दिनों - रात  जो,
खेतों    में    तपते    हैं   खूब।
ऐसी    बे-मौसम   बारिश   में,
जिनका  सब कुछ जाता डूब।
तुमको क्या तुम तो बस अपने,
घर  के  अंदर   हो   खुशहाल।
उससे   पूछो   इससे  जिसका,
हाल    हुआ    बेहद   बेहाल।।

                           ........कौशल तिवारी

©Kaushal Kumar #बेमौसमबरसात
        बे-मौसम बारिश

अन्न     तुम्हारे     भोजन     की,
थाली    तक   कैसे   आता   है।
इसके  पीछे  किसका,  कितना,
कहाँ  - कहाँ,   क्या   नाता   है।
बे -मौसम  बारिश  से  तुम  जो,
झूम      रहे      इतराते       हो।
तुमको    क्या   मालूम    इसमें,
किसका क्या-क्या बह जाता है।

उनसे   पूछो   दिनों - रात  जो,
खेतों    में    तपते    हैं   खूब।
ऐसी    बे-मौसम   बारिश   में,
जिनका  सब कुछ जाता डूब।
तुमको क्या तुम तो बस अपने,
घर  के  अंदर   हो   खुशहाल।
उससे   पूछो   इससे  जिसका,
हाल    हुआ    बेहद   बेहाल।।

                           ........कौशल तिवारी

©Kaushal Kumar #बेमौसमबरसात