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वो दरख़्त जैसे साथ होते थे हमारे, साए जैसे चलते थे

वो दरख़्त जैसे साथ होते थे हमारे,
साए जैसे चलते थे हमारे।
धूप में ठंडी छांव बन के रहते,
वो दरख़्त ही हैं, हम जिन्हें दादी-बाबा कहते।।
 वो दरख़्त 
*दरख़्त - पेड़
#darakht #collab #yqbhaijan  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Bhaijan
वो दरख़्त जैसे साथ होते थे हमारे,
साए जैसे चलते थे हमारे।
धूप में ठंडी छांव बन के रहते,
वो दरख़्त ही हैं, हम जिन्हें दादी-बाबा कहते।।
 वो दरख़्त 
*दरख़्त - पेड़
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