बहुत हसींन है ये शाम, ज़रा जी भर के देख लेनो दो, सिंदूरी आँचल फैलाये, ज़रा आसमाँ को मुस्कुरा लेने दो, शांतचित है तरुवर, सावधान पर्वत भी है, ज़रा मौसम को मुस्कुरा लेने दो। दीदार कर लो इस पल को, फिर तनहा रात ही मुकम्मल होगी, आएगी रुस्वाइया जरूर, फिर से खुद को सम्हाल लेने दो, टूटेगा जो साथ इस पल का, अश्क भी न दिल को सम्हाल पायेगा। ज़रा मेरी जान को फिर से अंजान हो जाने दो। बहुत हसीन है ये शाम, ज़रा जी भर के देख लेने दो। #प्रदीप सरगम# #Nojoto #nojotonews #PoetryOnline #Trending #EscapeEvening