की-बोर्ड की खटखट के बीच दब गई है कुछ आवाजें ......एक फोन कॉल, एक बिना पढ़ा मैसेज ....क्या मिला और क्या मिलना था, वाला दिमागी शोर .....शाम को घर लौटने से एक घर बनाने की इच्छा ...गुम हो गई है कही रिश्तो में अपनेपन की प्रेम भरी वो कहानियां .....की-बोर्ड की खटखट में....दब गई है, मर गई है वो भी कहीं....घंटों आस में बाहर बैठी कहानियां नाउम्मीद लौट जाती हैं ....वैसे ही जैसे, हर शाम मैं अपने घर की ओर लौटता हूँ...!