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कभी तुम भी आओ, मुझे बचाने के लिए, मैं, को हम बनाने

कभी तुम भी आओ, मुझे बचाने के लिए,
मैं, को हम बनाने के लिए।

कायर हो तुम क्योंकि,
भीड़ में भी कोई किसी को मार जाता है।

जब वो हत्या कर रहा होता है,
तब तुम्हारा पराक्रम कहा जाता है?

कितनों की बलि चढ़ चुकी है,
कितनी अबला तुम्हारे चक्कर में मर चुकी है।

कुंभकरण हो तुम,कब खुद को जगाओगे?
मुझे कब इन राक्षसों से बचाओगे?
                                   -------------आनन्द

©आनन्द कुमार 
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