फिज़ाओं में दरख्तो की कमी खलने लगी, बहारें जा रही इंसान की करतूतों’ से। 🌝प्रतियोगिता- 188🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"फ़िज़ा"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I