जिंदगी में ग़मों का अलग ही फ़साना होता है भूख का वार प्यार के ख़ंजर से नुकीला होता है तन्हाई में रो लेते हैं मोहब्ब्त करने वाले उस से पूछो जो भीड़ में भी अकेला होता है जिसके हाथों में हो जहााँ, पर हो अपनों से दूर वो शख़्स मुकम्मल होके भी अधूरा होता है तीरगी से लड़ते, पहुंच भी जाएं गर उजालों तक चलते चलते राह-ए-जवानी से बुढ़ापा होता है ख़ाना-बदोशयों में कट रही यूं ही उम्र हमारी जहां इक शाख़ दिख जाए, वहीं पे बसेरा होता है अब और कितने धक्के खाता रहेगा अख़्तर जिसे तू हक़ीक़ी समझता है, वो छलावा होता है 03 तीरगी= अंधेरा ख़ाना-बदोश= जिसका कोई ठिकाना ना हो, इधर उधर फिरने वाला। #life #urdupoetry #urdushayeri #vaseemakhthar #ownthought #yqbhaijaan #yqdidi #yqbaba Nirmala Indulkar🇮🇳 soniya Ranawat Poonam Nain shadab Rahbar Santwana Patro