बीते दिन फिर कोई छोड़ गया हो ऐसे, कि सासों को कोई निचोड़ गया हो जैसे, और पल पल चुभती हैं यादें, नासूर बन के, कि कंगन से भरे हाथ कोई मरोड़ गया हो जैसे, उसे दिखती नहीं है, आज भी दरारों की वजह, खोखले दीवार कोई सलीके से जोड़ गया हो जैसे, संभल के रोज बिखर जाता है वो पत्तों की तरह, कि हर शाम कोई शाखों को झंझोड गया हो जैसे, और अब बेसब्रों की तरह फिरता है रास्तों पे ऐसे, कि शायद मंजिल तक कोई मोड़ गया हो जैसे ।। #lastdays #yqbaba #yqdidi #yourquote #yqhindi✌🏻🖤