खुशबू बनकर तुम बस गए हो मेरी नस-नस में साँस बनकर तुम मेरे रोम-रोम में समा जाया करो मोहब्बत करने लगे हैं हम तुमसे बेइंतहा अपने प्यार से कभी हमें भी रूबरू तुम कराया करो //लेखन संगी// // ख़ुशबू बनकर // ख़ुशबू बन करके तुम इन हवाओं में बिखर जाया करो कभी-कभी इस दिल की राहों से भी गुज़र जाया करो यूँ तो तुम बसे हो दिल की धड़कनों में ऐ...हम-दम पर तरस गई दीद को आँखें कभी तो नज़र आ जाया करो #rztask351 #rzलेखकसमूह #yqrestzone