इन मदहोश आंखों में समा जाऊ, या उलझ जाऊ तेरी ज़ुल्फो की घटाओं में, तेरे होठो की लाली से लिपट जाऊ, या सो जाऊ तेरी पलको की नर्म छाँव में, कहानी समझ इसे, तू मेरे दर्द ए दिल की, या समझ ले अधूरे सपने मेरे, अब जी जाऊ तेरी यादों के सहारे, या मर जाउ इन यादों के समंदर में । -संजू जांगीड उलझन