जिस जमीं के टुकड़े पर अपना हक़ था जिन चारदीवारियों पर लिखा था मेरा नाम उनमें खामोशियाँ ही शोर मचाती रहीं मेरे हवासों में तो वो घर ही समाया रहा जिसकी हर इक ईट पर परायापन लिखा जंगलों की पौध थी मैं, जो गमलों दर गमलों में भटकती रही एक अदद घर तलाशती रही......... #भटकन #refuge #YQbaba #YQdidi