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उपेन्द्रनाथ अश्क की कलम से प्रस्तुत है- उसने मेरा

 उपेन्द्रनाथ अश्क की कलम से प्रस्तुत है- 
उसने मेरा हाथ देखा और सर हिला दिया,
इतनी भाव प्रवीणता,
दुनिया में कैसे रहोगे!
इस पर अधिकार पाओ,
वरना
लगातार दुःख दोगे
निरंतर दुःख सहोगे।
 उपेन्द्रनाथ अश्क की कलम से प्रस्तुत है- 
उसने मेरा हाथ देखा और सर हिला दिया,
इतनी भाव प्रवीणता,
दुनिया में कैसे रहोगे!
इस पर अधिकार पाओ,
वरना
लगातार दुःख दोगे
निरंतर दुःख सहोगे।