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चीर हरित द्रौपदी खड़ी है कौरवों की भीड़ पड़ी है

चीर हरित द्रौपदी खड़ी है
 कौरवों की भीड़ पड़ी है
 भीष्म तमाशा देख रहे हैं
कलियुग की विकराल घड़ी हैं
राह निहारे वृन्दावन की कृष्ण बचा लो लाज 
भूल गए सब कलियुग हैं यह, दुर्योधन का राज।
जिसको समझ रहे हो कान्हा
कल वो दुश्शासन निकलेगा
आज जो उस घर बीत रहा हैं
कल हर घर-आँगन निकलेगा
रोक सको तो अभी समय हैं, फिर होगा संग्राम
अभिमन्यु पर दांव लगेगा, चक्रव्यूह, कोहराम।
कृष्ण बने फिरते हैं जिनको
नारी का सम्मान नहीं हैं
दुर्योधन की राजगद्दी हैं
छू पाना आसान नहीं हैं
इन छलियों को दूर भगाओ और नारी सम्मान
आखिर देश चला रहे हैं अनपढ़ और नादान।
खड़ग उठाओ तीर चला दो 
 वज्र बना  शमशीर चला दो
भीम बन दुश्शासन मारो
या उनपर जंजीर चला दो
ना आएंगे कान्हा कलियुग, रखने उसकी लाज
हमें ही कान्हा बनना होगा, बचाने उसको आज।
    
                                                -अभिषेक चौधरी

©Abhishek Choudhary
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