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पायलों कि 'रूनझुन' आवाजें पास आने लगी थी दिल में उ

पायलों कि 'रूनझुन' आवाजें पास आने लगी थी
दिल में उठी बेचैनियों से हलक सुखती जा रही थी

आलम समझता तब तलक जोर से रोने लगी थी
किसी अनहोनी से डर या मुझसे ही डर रही थी

'अनजान' था उसके लिए मैं पहचान ना रही थी
फक्र क्या पड़ता कह देता वो तो जानती नहीं थी

©अनुषी का पिटारा..
  #अजनवी