तेरे बिना 'मैखाने' में कभी उजाला नहीं होता शिकवा घूँट भरी "हाथों में प्याला" नहीं होता तले, भूने, चीजों से 'गुजारा' हमारा नहीं होता नशा छोड़ देता, 'कदम़' मैखाने बढ़ाया न होता "इश्क़" ही रास्ते खुद-ब-खुद लाई क्या करता छोड़कर खुशी या गम़ बताओं हम क्या करता ताने मत दो मैखाने कि 'इश्क़' सताया ना होता सड़कों पे न सोता, तुझसे दिल लगाया ना होता 'नशा' छोड़ दूँ, पैर जमीन से 'सटाया' ना होता 'शाकी' कि प्यास पीकर थोड़ी बुझाया ना होता तेरे बिना 'मैखाने' में कभी 'उजाला' नहीं होता शिकवा है घूँट से "हाथों में प्याला" नहीं होता ©अनुषी का पिटारा.. #नशा #नशा_इश्क़_का