जिनगी ला सजाय बर संगी, शहर आय ला पड़थे । दू रुपिया पईसा बर, खुन पसीना बोहाय ला पड़थे । अऊ मन भितरी के दुःख पिरा ला मन मा राख के संगवारी,गर्मी हो या सर्दी रोज कमाय ला पड़थे । © जिनगी ला सजाय बर संगी, शहर आय ला पड़थे । दू रुपिया पईसा बर, खुन पसीना बोहाय ला पड़थे । अऊ मन भितरी के दुःख पिरा ला मन मा राख के संगवारी,गर्मी हो या सर्दी रोज कमाय ला पड़थे ।