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#Pehlealfaaz मेरे पहले अल्फा़ज़ उस अद्वितीय सौंदर

#Pehlealfaaz  मेरे पहले अल्फा़ज़ उस अद्वितीय सौंदर्य की छवि है जिसने मेरे अन्तर्मन पर इतनी गहरी छाप छोडी़ की पहली दफा इन अल्फा़जों को पृष्ठों पर अंकित करना पडा़।

यही कोई 10-12 बरस की थी वो, बिल्कुल साधारण-सी, अपनी असाधारण मुस्कान लिए। सूर्ख गुलाबी सलवार कमीज पहने, अपनी गुलाबी चूनरी यूँ लहरा रही थी मानो ये पंख बनकर ले उडेंगे उसे आसमान में, परियों की तरह। सरसों के पीले खेत में लहराती चुन्दरी गुलाबी तितली जैसी प्रतीत हो रही थी। खेतों में हरी घास पर बैठी वो एक हाथ में लकडी़ की छडी घुमाती और दूसरे से अपनी चुन्दरी उडाती तो कभी अपनी चोटियों से खेलती, प्रकृति के वास्तविक सौंदर्य का एहसास दिला रही थी। अकेली खेतों में अटखेलियाँ करती इतनी खुश थी जैसे फरेबी दूनिया से कुछ लेना ही ना हो। कभी नाचती तो कभी जोर-जोर से उछलती इस दूनिया से पडे़ थी वो। 

सलवार-कमीज गंदे थे उसके किन्तू सच्ची सौंदर्य थी वो।
कानों की बालियाँ नकली थे सके, मुस्कूराहट एक दम असली।
ना जाने कौन थी वो।।

धीरे-धीरे रिक्शा आगे निकलता गया और वो अन्तर्मन में एक छाप छोड़ते आँखों से ओझल होती चली गयी बिल्कूल वैसे जैसे प्रकृति का वास्तविक रुप होता जा रहा है।।
Biharan Tale ❤ #Pehlealfaaz #DairyWords #चरित्रचित्रण #प्रकृति #mywords #Nojoto #nojotohindi #Biharan😇 #BiharanTale🖤 #MissRajput❤
#Pehlealfaaz  मेरे पहले अल्फा़ज़ उस अद्वितीय सौंदर्य की छवि है जिसने मेरे अन्तर्मन पर इतनी गहरी छाप छोडी़ की पहली दफा इन अल्फा़जों को पृष्ठों पर अंकित करना पडा़।

यही कोई 10-12 बरस की थी वो, बिल्कुल साधारण-सी, अपनी असाधारण मुस्कान लिए। सूर्ख गुलाबी सलवार कमीज पहने, अपनी गुलाबी चूनरी यूँ लहरा रही थी मानो ये पंख बनकर ले उडेंगे उसे आसमान में, परियों की तरह। सरसों के पीले खेत में लहराती चुन्दरी गुलाबी तितली जैसी प्रतीत हो रही थी। खेतों में हरी घास पर बैठी वो एक हाथ में लकडी़ की छडी घुमाती और दूसरे से अपनी चुन्दरी उडाती तो कभी अपनी चोटियों से खेलती, प्रकृति के वास्तविक सौंदर्य का एहसास दिला रही थी। अकेली खेतों में अटखेलियाँ करती इतनी खुश थी जैसे फरेबी दूनिया से कुछ लेना ही ना हो। कभी नाचती तो कभी जोर-जोर से उछलती इस दूनिया से पडे़ थी वो। 

सलवार-कमीज गंदे थे उसके किन्तू सच्ची सौंदर्य थी वो।
कानों की बालियाँ नकली थे सके, मुस्कूराहट एक दम असली।
ना जाने कौन थी वो।।

धीरे-धीरे रिक्शा आगे निकलता गया और वो अन्तर्मन में एक छाप छोड़ते आँखों से ओझल होती चली गयी बिल्कूल वैसे जैसे प्रकृति का वास्तविक रुप होता जा रहा है।।
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