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"मेरे अल्फ़ाज़" कोई पूछे की में ग़ज़लों के ये अल्फ़ाज़

"मेरे अल्फ़ाज़"

कोई पूछे की में ग़ज़लों के ये अल्फ़ाज़ कहा से लाया हूँ,
ये तो मेरे दिल के अल्फ़ाज़ हैं जो कागज़ में समाया हुँ|

कुछ पुरानी मीठी यादें हैं, कुछ घाव हैं इस पागल दिल के,
वर्ना यूँही तो नही इन शायरों की ज़मात मे में समाया हुँ।

ग़ज़लों के सिवा नही हैं कोई अपना, समजा लिया हैं खुद को,
तभी तो इस मुशायरे में अपनी तन्हाइयो की पेशकश लाया हुँ।

तू खूब करले सितम ऐ ज़माने ये मेरे शायर दिल पर,
इन गहरे घावो से ही तो में अभी खूब नाम कमाया हुँ!

खौफ नही हैं किसीका मेरे इन बेखौफ अल्फाज़ो को,
तभी तो 'रुद्र' में ऐसा शायर हुँ जो अल्फाज़ो में समाया हुँ।

- जय त्रिवेदी ("रुद्र") #मेरे_अल्फ़ाज़
"मेरे अल्फ़ाज़"

कोई पूछे की में ग़ज़लों के ये अल्फ़ाज़ कहा से लाया हूँ,
ये तो मेरे दिल के अल्फ़ाज़ हैं जो कागज़ में समाया हुँ|

कुछ पुरानी मीठी यादें हैं, कुछ घाव हैं इस पागल दिल के,
वर्ना यूँही तो नही इन शायरों की ज़मात मे में समाया हुँ।

ग़ज़लों के सिवा नही हैं कोई अपना, समजा लिया हैं खुद को,
तभी तो इस मुशायरे में अपनी तन्हाइयो की पेशकश लाया हुँ।

तू खूब करले सितम ऐ ज़माने ये मेरे शायर दिल पर,
इन गहरे घावो से ही तो में अभी खूब नाम कमाया हुँ!

खौफ नही हैं किसीका मेरे इन बेखौफ अल्फाज़ो को,
तभी तो 'रुद्र' में ऐसा शायर हुँ जो अल्फाज़ो में समाया हुँ।

- जय त्रिवेदी ("रुद्र") #मेरे_अल्फ़ाज़
jaytrivedi5022

Jay Trivedi

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