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किसी सुबह ये पैग़ाम हो, ये ज़िन्दगी मौत के नाम हो न

किसी सुबह ये पैग़ाम हो,
ये ज़िन्दगी मौत के नाम हो
न ढलती यहाँ कोई शाम हो,
चारों ओर बस श्मशान हो

हर लबों पर बस राम नाम हो,
निकलती इस जिस्म से जान हो
मिले इस जहां में ही हर रूह को आराम हो,
ए ख़ुदा ज़मी ही जन्नत का पहला नाम हो

किसी सुबह मैं उठूं और ये पैग़ाम हो,
ये ज़िन्दगानी मौत के नाम हो....

©Death_Lover
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