आज फिर अकेला बैठ कर खुद को ढूँढ रहा हुँ मैं, कब की मर चुकी है इंसानियत इंसान की, अब तो बस सबकी आँखें मुंद रहा हुँ मैं। मैं भी चला करता था कभी सफर अकेला, अब भीड़ मे भी चलने से डर रहा हुँ मैं। इनता खुदग़र्ज है इंसान और उसकी इंसानियत, फिर क्योंं इंसानियत के लिए लड़ रहा हुँ मैं। हर रोज शर्मशार हो रही है इंसानियत इंसान की फिर किस के लिए ये सबकुछ कर रहा हुँ मैं। कुछ तो ख्याल करों इस हसीन जहां का यारों मैं भी इंसान हुँ, फिर हर रोज क्यों मर रहा हुँ मै। इंसानियत...✍✍ #इंसान_की_इंसानियत #nojoto #nojotowrite #nojotoworld #beinghuman #humanity #savehumanity #savecountry #nojotoquotes #quoteforhumanity #nojoto #showsamerespectforhumanity.